प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वं तुष्यन्ति जन्तवः।
तस्मात्तदेव वक्तव्यं वचने किं दरिद्रता ?।।१७।।
मीठी बातें करने से सभी लोग प्रसन्न रहते हैं। ऐसी दशा में मीठी ही बातें करनी चाहिए। बात बोलने में कौन कमी है।
तस्मात्तदेव वक्तव्यं वचने किं दरिद्रता ?।।१७।।
मीठी बातें करने से सभी लोग प्रसन्न रहते हैं। ऐसी दशा में मीठी ही बातें करनी चाहिए। बात बोलने में कौन कमी है।
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