मंगलवार, 15 मार्च 2016

२.९ नहीं होता

शैले शैले न माणिक्यं मौक्तिकं न गजे गजे।
साधवो नहि सर्वत्र चन्दनं न वने वने।।२.९।।

हर एक पहाड़ पर माणिक नहीं होता , सभी हाथियों के मस्तक में मोती नहीं होता।  सज्जन सर्वत्र नहीं होते और चन्दन सब जंगलों में नहीं होता । 

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