गृहीत्वा दक्षिणां विप्रास्त्यजन्ति यजमानकम्।
प्राप्तविद्यागुरुः शिष्यो दग्धारण्यं मृगास्तथा।।२.१८।।
ये तीनों कार्य समाप्त होने पर
प्राप्तविद्यागुरुः शिष्यो दग्धारण्यं मृगास्तथा।।२.१८।।
ये तीनों कार्य समाप्त होने पर
- ब्राह्मण दक्षिणा लेकर यजमान को
- विद्या प्राप्त कर लेने के बाद विद्यार्थी गुरु को
- जले जंगल को बनैले जीव।
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