बुधवार, 16 मार्च 2016

४.६ एक गुणवान् पुत्र

एकोऽपि गुणवान् पुत्रो निर्गुणैश्च शतैर्वरः।
एकश्चन्द्रस्तमो हन्ति न च ताराः सहस्त्रशः।।४.६।। 

एक गुणवान् पुत्र सैकड़ों गुणहीन पुत्रों से अच्छा है।  अकेला चन्द्रमा अन्धकार को दूर कर देता है , पर हजारों तारे मिलकर भी उसे नहीं दूर कर पाते।

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