कुग्रामवासः कुलहीनसेवा कुभोजनं क्रोधमुखी च भार्या।
पुत्रश्च मूर्खा विधवाच कन्या विनाऽग्निमेते प्रदहन्ति कायम्।।४.८।।
खराब गाँव का निवास , नीच कुलवाले प्रभु की सेवा , ख़राब भोजन , कर्कशा स्त्री , मूर्ख पुत्र और विधवा पुत्री , ये छह बिना आग के ही प्राणी के शरीर को भून डालते हैं।
पुत्रश्च मूर्खा विधवाच कन्या विनाऽग्निमेते प्रदहन्ति कायम्।।४.८।।
खराब गाँव का निवास , नीच कुलवाले प्रभु की सेवा , ख़राब भोजन , कर्कशा स्त्री , मूर्ख पुत्र और विधवा पुत्री , ये छह बिना आग के ही प्राणी के शरीर को भून डालते हैं।
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