जन्म - जन्मनि चाभ्यस्तं दानमध्ययनं तपः।
तेनैवाऽभ्यासयोगेन दही वाऽभ्यस्यते पुनः।।१९।।
दान , अध्ययन और तप जन्म - जन्म के अभ्यास से होते हैं और प्राणी बार - बार इसी का अभ्यास करता रहता है।
तेनैवाऽभ्यासयोगेन दही वाऽभ्यस्यते पुनः।।१९।।
दान , अध्ययन और तप जन्म - जन्म के अभ्यास से होते हैं और प्राणी बार - बार इसी का अभ्यास करता रहता है।
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