सोमवार, 21 मार्च 2016

११.१ स्वाभाविक सिद्ध चार गुण

दातृत्वं प्रियवकृत्तत्वं धीरत्वमुचितज्ञता।
अभ्यासेन न लभ्यन्ते चत्वारः सहजाः गुणाः।।११.१।।

दानशक्त्ति , मीठी बात करना , धैर्य धारण करना , समय पर उचित अनुचित का निर्णय करना।  ये चार गुण स्वाभाविक सिद्ध हैं।  सीखने से नहीं आते।

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