दातृत्वं प्रियवकृत्तत्वं धीरत्वमुचितज्ञता।
अभ्यासेन न लभ्यन्ते चत्वारः सहजाः गुणाः।।११.१।।
दानशक्त्ति , मीठी बात करना , धैर्य धारण करना , समय पर उचित अनुचित का निर्णय करना। ये चार गुण स्वाभाविक सिद्ध हैं। सीखने से नहीं आते।
अभ्यासेन न लभ्यन्ते चत्वारः सहजाः गुणाः।।११.१।।
दानशक्त्ति , मीठी बात करना , धैर्य धारण करना , समय पर उचित अनुचित का निर्णय करना। ये चार गुण स्वाभाविक सिद्ध हैं। सीखने से नहीं आते।
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