हस्ती स्थूलतनुः स चांकुशवशः किं हस्तिमात्रोंऽकुशः
दीपे प्रज्वलिते प्रणश्यति तमः किं दीपमात्रं तमः।
वज्रेणापि हताः पतिन्ति गिरयः किं वज्रमात्रा नगाः
तेजे यस्य विराजते स बलवान्स्थूलेषु कः प्रत्ययः।।११.३।।
हाथी मोटा - ताजा होता है , किन्तु अंकुश के वश में रहता है , तो क्या अंकुश हाथी के बराबर है ?
दीपक के जल जानेपर क्या अन्धकार दूर हो जाता है , तो क्या अन्धकार के बराबर दीपक है ?
इन्द्र के वज्रप्रहार से पहाड़ गिर जाते हैं , तो क्या वज्र उन पर्वतों के बराबर है ?
इसका मतलब यह निकला कि जिसमें तेज है , वही बलवान् है , यों मोटा - ताजा होने से कुछ नहीं होता।
दीपे प्रज्वलिते प्रणश्यति तमः किं दीपमात्रं तमः।
वज्रेणापि हताः पतिन्ति गिरयः किं वज्रमात्रा नगाः
तेजे यस्य विराजते स बलवान्स्थूलेषु कः प्रत्ययः।।११.३।।
हाथी मोटा - ताजा होता है , किन्तु अंकुश के वश में रहता है , तो क्या अंकुश हाथी के बराबर है ?
दीपक के जल जानेपर क्या अन्धकार दूर हो जाता है , तो क्या अन्धकार के बराबर दीपक है ?
इन्द्र के वज्रप्रहार से पहाड़ गिर जाते हैं , तो क्या वज्र उन पर्वतों के बराबर है ?
इसका मतलब यह निकला कि जिसमें तेज है , वही बलवान् है , यों मोटा - ताजा होने से कुछ नहीं होता।
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