धनहीनो न हीनश्च धनिकः स सुनिश्चयः।
विद्यारत्नेन हीनो यः स हीनः सर्ववस्तुषु।।१०.१।।
धनहीन मनुष्य हीन नहीं कहा जा सकता, वही वास्तव में धनी है। किन्तु जो मनुष्य विद्यारूपी रत्न से हीन है , वह सभी वस्तुओं से हीन है।
विद्यारत्नेन हीनो यः स हीनः सर्ववस्तुषु।।१०.१।।
धनहीन मनुष्य हीन नहीं कहा जा सकता, वही वास्तव में धनी है। किन्तु जो मनुष्य विद्यारूपी रत्न से हीन है , वह सभी वस्तुओं से हीन है।
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