सोमवार, 21 मार्च 2016

११.१३ ब्राह्मण और विप्र वैश्य

लौकिके कर्मणि रतः पशूनां परिपालकः।
वाणिज्यकृषिकर्ता यः स विप्रो वैश्य उच्यते।।११.१३।।

जो ब्राह्मण सांसारिक धन्धों में लगा रहता और पशु पालन करता , वाणिज्य व्यवसाय करता या खेती ही करता है वह विप्र वैश्य कहलाता है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें