लौकिके कर्मणि रतः पशूनां परिपालकः।
वाणिज्यकृषिकर्ता यः स विप्रो वैश्य उच्यते।।११.१३।।
जो ब्राह्मण सांसारिक धन्धों में लगा रहता और पशु पालन करता , वाणिज्य व्यवसाय करता या खेती ही करता है वह विप्र वैश्य कहलाता है।
वाणिज्यकृषिकर्ता यः स विप्रो वैश्य उच्यते।।११.१३।।
जो ब्राह्मण सांसारिक धन्धों में लगा रहता और पशु पालन करता , वाणिज्य व्यवसाय करता या खेती ही करता है वह विप्र वैश्य कहलाता है।
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