सोमवार, 21 मार्च 2016

११.१७ ब्राह्मण और चाण्डाल

देवद्रव्यं गुरूद्रव्यं परदाराभिमर्षणम्।
निर्वाहः सर्वभूतेषु विप्रश्चाण्डाल उच्यते।।११.१७।।

जो देवद्रव्य और गुरुद्रव्य अपहरण करता , परायी स्त्री के साथ दुराचार करता और लोगों की वृत्ति पर ही जो अपना निर्वाह करता है , ऐसे ब्राह्मण को चाण्डाल कहा जाता है।

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