देवद्रव्यं गुरूद्रव्यं परदाराभिमर्षणम्।
निर्वाहः सर्वभूतेषु विप्रश्चाण्डाल उच्यते।।११.१७।।
जो देवद्रव्य और गुरुद्रव्य अपहरण करता , परायी स्त्री के साथ दुराचार करता और लोगों की वृत्ति पर ही जो अपना निर्वाह करता है , ऐसे ब्राह्मण को चाण्डाल कहा जाता है।
निर्वाहः सर्वभूतेषु विप्रश्चाण्डाल उच्यते।।११.१७।।
जो देवद्रव्य और गुरुद्रव्य अपहरण करता , परायी स्त्री के साथ दुराचार करता और लोगों की वृत्ति पर ही जो अपना निर्वाह करता है , ऐसे ब्राह्मण को चाण्डाल कहा जाता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें