सोमवार, 21 मार्च 2016

१०.३ सुखार्थी को विद्या और विद्यार्थी को सुख

सुखार्थी चेत् त्यजेद्विद्यां विद्यार्थी चेत् त्यजेत्सुखम्।
सुखार्थिनः कुतो विद्या सुखं विद्यार्थिनः कुतः ?।।१०.३।।

जो मनुष्य विषय सुख चाहता हो , वह विद्या के पास न जाय।  जो विद्या का इच्छुक हो , वह विषय सुख छोड़े।  सुखार्थी को विद्या और विद्यार्थी को सुख कहाँ मिल सकता है ?

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