यौवनं धनसम्पत्तिः प्रभुत्वमविवेकिता।
एकैकमप्यनर्थाय किमु यत्र चतुष्टयम् ।।१७.२२।।
जवानी , धन की अधिकता , प्रभुता एवं अविवेक। इनमे से एक भी अनर्थ का कारण होता है। लेकिन जिनमे ये चारों हो उनका क्या कहना।
एकैकमप्यनर्थाय किमु यत्र चतुष्टयम् ।।१७.२२।।
जवानी , धन की अधिकता , प्रभुता एवं अविवेक। इनमे से एक भी अनर्थ का कारण होता है। लेकिन जिनमे ये चारों हो उनका क्या कहना।