कालः पचति भूतानि कालः संहरते प्रजाः।
कालः सुप्तेषु जागर्ति कालो हि दुरतिक्रमः।।६.७।।
काल सभी प्राणियों को खा जाता है। काल प्रजा का संहार करता है। वह लोगों के सो जाने पर भी वह जागता रहता है। तात्पर्य यह कि काल को कोई टाल नहीं सकता।
कालः सुप्तेषु जागर्ति कालो हि दुरतिक्रमः।।६.७।।
काल सभी प्राणियों को खा जाता है। काल प्रजा का संहार करता है। वह लोगों के सो जाने पर भी वह जागता रहता है। तात्पर्य यह कि काल को कोई टाल नहीं सकता।
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