गुरुवार, 17 मार्च 2016

५.१२ के समान कोई

नास्ति कामसमो व्याधिर्नास्ति मोहसनो रिपुः।
नास्ति कोपसमो वह्निर्नास्ति ज्ञानात् परं सुखम्।।५.१२।।

काम के समान कोई रोग नहीं है ,
मोह (अज्ञान ) के समान कोई शत्रु नहीं है ,
क्रोध के समान और कोई अग्नि नहीं है  और
ज्ञान से बढ़कर और कोई सुख नहीं है।

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