वरं न राज्यं न कुराजराज्यं वरं न मित्रं न कुमित्रमित्रम्।
वरं न शिष्यो न कुशिष्यशिष्यो वरं न दारा न कुदारदाराः।।६.१३।।
राज्य ही न हो तो अच्छा, पर कुराज्य अच्छा नही।
मित्र ही न हो तो अच्छा, पर कुमित्र होना अच्छा नहीं।
शिष्य ही न हो तो अच्छा, पर कुशिष्य होना अच्छा नहीं।
स्त्री न हो तो ठीक है, पर दुष्ट स्त्री होना अच्छा नहीं ।
वरं न शिष्यो न कुशिष्यशिष्यो वरं न दारा न कुदारदाराः।।६.१३।।
राज्य ही न हो तो अच्छा, पर कुराज्य अच्छा नही।
मित्र ही न हो तो अच्छा, पर कुमित्र होना अच्छा नहीं।
शिष्य ही न हो तो अच्छा, पर कुशिष्य होना अच्छा नहीं।
स्त्री न हो तो ठीक है, पर दुष्ट स्त्री होना अच्छा नहीं ।
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