गुरुवार, 17 मार्च 2016

६.६ कार्य और सहायक

यादृशी जायते बुद्धिर्व्यवसायोऽपि तादृशः।
सहायास्तादृशा एव यादृशी भवितव्यता।।६.६।।

जिस तरह की बुद्धि होती है, वैसा ही कार्य होता है और जैसा होनहार होता है सहायक भी उसी प्रकार के मिल जाते हैं।  

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