गुरुरग्रिर्द्विजातीनां वर्णानां ब्राह्मणो गुरुः।
पतिरेव गुरुः स्त्रीणां सर्वस्याभ्यागतो गुरुः।।५.१।।
ब्राह्मण , क्षत्रिय तथा वैश्य इन तीनों का गुरु अग्नि है। उपर्युक्त्त चारों वर्णों का गुरु ब्राह्मण है , स्त्री का गुरु उसका पति है और संसार मात्र का गुरु अतिथि है।
पतिरेव गुरुः स्त्रीणां सर्वस्याभ्यागतो गुरुः।।५.१।।
ब्राह्मण , क्षत्रिय तथा वैश्य इन तीनों का गुरु अग्नि है। उपर्युक्त्त चारों वर्णों का गुरु ब्राह्मण है , स्त्री का गुरु उसका पति है और संसार मात्र का गुरु अतिथि है।
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