गुरुवार, 17 मार्च 2016

५.१ गुरु

गुरुरग्रिर्द्विजातीनां  वर्णानां ब्राह्मणो गुरुः।
पतिरेव गुरुः स्त्रीणां सर्वस्याभ्यागतो गुरुः।।५.१।।

ब्राह्मण  , क्षत्रिय  तथा वैश्य इन तीनों का गुरु अग्नि है। उपर्युक्त्त चारों वर्णों का गुरु ब्राह्मण है , स्त्री का गुरु उसका पति है और संसार मात्र का गुरु अतिथि है।

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