गुरुवार, 17 मार्च 2016

५.३ भय

तावद्भयेन भेतव्यं यावद् भयमनागतम्।
आगतं तु भयं वीक्ष्य प्रहर्तव्यमशङ्कया।।५.३।।

भय से तभी तक डरो , जब तक कि वह तुम्हारे पास तक न आ जाय। 
और जब आ ही जाय तो डरो नहीं बल्कि उसे निर्भीक भाव से मार भगाने की कोशिश करो।

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