चला लक्ष्मीश्चलाः प्राणश्चले जीवितमन्दिरे।
चलाऽचले च संसारे धर्म एको हि निश्चलः।।५.२०।।
लक्ष्मी चंचल हैं , प्राण भी चंचल ही है , जीवन तथा घर - द्वार भी चंचल है और कहाँ तक कहें यह सारा संसार चंचल है , बस धर्म केवल अचल और अटल है।
चलाऽचले च संसारे धर्म एको हि निश्चलः।।५.२०।।
लक्ष्मी चंचल हैं , प्राण भी चंचल ही है , जीवन तथा घर - द्वार भी चंचल है और कहाँ तक कहें यह सारा संसार चंचल है , बस धर्म केवल अचल और अटल है।
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