गुरुवार, 17 मार्च 2016

५.२ मनुष्य की परीक्षा

यथा चतुर्भिःकनकं परीक्ष्यते निघर्षणं छेदनतापताडनैः।
तथा चतुर्भिः पुरुषं परीक्ष्यते त्यागेन शीलेन गुणेन कर्मणा।।५.२।।

जैसे रगड़ने से , काटने  से , तपाने से और पीटने से , इन चार उपायों से सुवर्ण की परीक्षा की जाती है , उसी प्रकार त्याग , शील , गुण और कर्म इन चार बातों से मनुष्य की परीक्षा होती है।

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