यथा चतुर्भिःकनकं परीक्ष्यते निघर्षणं छेदनतापताडनैः।
तथा चतुर्भिः पुरुषं परीक्ष्यते त्यागेन शीलेन गुणेन कर्मणा।।५.२।।
जैसे रगड़ने से , काटने से , तपाने से और पीटने से , इन चार उपायों से सुवर्ण की परीक्षा की जाती है , उसी प्रकार त्याग , शील , गुण और कर्म इन चार बातों से मनुष्य की परीक्षा होती है।
तथा चतुर्भिः पुरुषं परीक्ष्यते त्यागेन शीलेन गुणेन कर्मणा।।५.२।।
जैसे रगड़ने से , काटने से , तपाने से और पीटने से , इन चार उपायों से सुवर्ण की परीक्षा की जाती है , उसी प्रकार त्याग , शील , गुण और कर्म इन चार बातों से मनुष्य की परीक्षा होती है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें