गुरुवार, 17 मार्च 2016

५.६ शत्रु

मुर्खाणां पण्डिता द्वेष्या अधनानां महाधनाः।
वाराङ्गना कुलस्त्रीणां शुभगानां च दुर्भगा।।५.६।।

मूर्खों के पण्डित शत्रु होते हैं।
दरिद्रों के शत्रु धनी होते हैं।
कुलवती स्त्रियों की शत्रु वेश्यायें होती हैं। और
सुन्दर मनुष्यों के शत्रु कुरूप होते हैं।

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