गुरुवार, 17 मार्च 2016

५.१५ मित्र

विद्या मित्रं प्रवासेषु भार्या मित्रं गृहेषु च।
व्याधितस्यौषधं मित्रं धर्मो मित्रं मृतस्य च।।५.१५।।

परदेश में विद्या मित्र है।
घर में स्त्री मित्र है। 
रोगी को औषधि मित्र है। और
मरे हुए मनुष्य का धर्म मित्र है।

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