गुरुवार, 17 मार्च 2016

५.१३ संसार के मनुष्य

जन्ममृत्युं हि यात्पेको भुनक्त्येकः शुभाऽशुभम्।
नरकेषु पतत्येक एको याति परां गतिम्।।५.१३।।

संसार के मनुष्यों में - से
एक मनुष्य जन्म - मरण के चक्कर में पड़ता है ,
एक अपने शुभाशुभ कर्मों का फल भोगता है ,
एक नरक  जा गिरता है  और
एक परम पद को प्राप्त कर लेता है।

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