गुरुवार, 17 मार्च 2016

६.१० ये इनके पाप को भोगते हैं

राजा राष्ट्रकृतं पापं राज्ञः पापं पुरोहितः।
भर्ता च स्त्रीकृतं पापं शिष्यपापं गुरुस्तथा।।६.१०।।

ये इनके पाप को भोगते हैं
  1. राज्य के पाप को राजा ,
  2. राजा का पाप पुरोहित ,
  3. स्त्री का पाप पति और 
  4. शिष्य का पाप गुरु।

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