दीपो भक्षयते ध्वान्तं कज्जलं च प्रसूयते।
यदन्नं भक्ष्यते नित्यं जायते ताद्वशी प्रजा।।८.३।।
दीपक अन्धकार को खाता है और काजल को जन्माता है। सत्य है , जो जैसा अन्न सदा खाता है उसकी वैसे ही सन्तति होती है।
यदन्नं भक्ष्यते नित्यं जायते ताद्वशी प्रजा।।८.३।।
दीपक अन्धकार को खाता है और काजल को जन्माता है। सत्य है , जो जैसा अन्न सदा खाता है उसकी वैसे ही सन्तति होती है।