शनिवार, 19 मार्च 2016

७.२ वही सुखी रहता है

धनधान्यप्रयोगेषु विद्यासंग्रहणेषु च।
आहारे व्यवहारे च त्यक्तलज्जः सुखी भवेत्।।७.२।।

इन कामों में जो मनुष्य लज्जा नहीं करता वही सुखी रहता है
  1. धन - धान्य के लेन देन 
  2. विद्याध्ययन 
  3. भोजन और 
  4. सांसारिक व्यवसाय। 

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