धनधान्यप्रयोगेषु विद्यासंग्रहणेषु च।
आहारे व्यवहारे च त्यक्तलज्जः सुखी भवेत्।।७.२।।
इन कामों में जो मनुष्य लज्जा नहीं करता वही सुखी रहता है
आहारे व्यवहारे च त्यक्तलज्जः सुखी भवेत्।।७.२।।
इन कामों में जो मनुष्य लज्जा नहीं करता वही सुखी रहता है
- धन - धान्य के लेन देन
- विद्याध्ययन
- भोजन और
- सांसारिक व्यवसाय।
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