यस्यार्थास्तस्य मित्राणि यस्यार्थास्तस्य बान्धवाः।
यस्यार्थाः स पुमाँल्लोके यस्यार्थाः स च जीवति।।७.१५।।
ये चार बातें ध्यान करने वाली है
यस्यार्थाः स पुमाँल्लोके यस्यार्थाः स च जीवति।।७.१५।।
ये चार बातें ध्यान करने वाली है
- जिसके पास धन रहता है उसके मित्र होते हैं।
- जिसके पास अर्थ रहता है उसी के बन्धु होते हैं।
- जिनके पास धन रहता है वही पुरुष गिना जाता हैं।
- जिसके पास अर्थ रहता है वही जीता है।
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