शनिवार, 19 मार्च 2016

७.१४ व्यय करना ही रक्षा है

उपार्जितानां वित्तानां त्याग एव हि रक्षणम्।
तडागोदरसंस्थानां परीस्त्रव इवाम्भसाम्।।७.१४।।

अर्जित धन का व्यय करना ही रक्षा है , जैसे नये जल आने पर तड़ाग के जल को निकालना ही रक्षा है।

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