सन्तोषस्त्रिषु कर्तव्यः स्वदारे भोजने धने।
त्रिषु चैव न कर्त्तव्योऽध्ययने जपदानयोः।।७.४।।
इन तीन बातों में सन्तोष धारण करना चाहिए
त्रिषु चैव न कर्त्तव्योऽध्ययने जपदानयोः।।७.४।।
इन तीन बातों में सन्तोष धारण करना चाहिए
- अपनी स्त्री में
- भोजन में
- धन में।
- अध्ययन में
- जप में
- दान में।
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