शनिवार, 19 मार्च 2016

७.४ तीन बात

सन्तोषस्त्रिषु कर्तव्यः स्वदारे भोजने धने।
त्रिषु चैव न कर्त्तव्योऽध्ययने जपदानयोः।।७.४।।

इन तीन बातों में सन्तोष धारण करना चाहिए
  1. अपनी स्त्री में 
  2. भोजन में 
  3. धन में। 
इन तीन बातों में कभी भी सन्तुष्ट नहीं होना चाहिए
  1. अध्ययन में 
  2. जप में 
  3. दान में।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें