शनिवार, 19 मार्च 2016

७.१० शत्रु को इस प्रकार नीचा दिखाना चाहिये

अनुलोमेन बलिनं प्रतिलोमेन दुर्जनम्।
आत्मतुल्यबलं शत्रुः विनयेन बलेन वा।।७.१०।।

इनको इस प्रकार नीचा दिखाना चाहिये
  1. अपने से प्रबल शत्रु को  उसके अनुकूल चल कर ,
  2. दुष्ट शत्रु को उससे प्रतिकूल चल कर और 
  3. समान बलवाले शत्रु को विनय और बल से।

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