रविवार, 27 मार्च 2016

१७.१५ परोपकार की भावना

परोपकरणं येषां जागर्ति हृदये सताम्।
नश्यन्ति विपदस्तेषां सम्पदस्तु पदे पदे।।१७.१५।।

जिन लोगों के हृदय में परोपकार की भावना विद्यमान रहती है उनकी सब विपत्तियाँ दूर हो जाती हैं और पद - पद पर सम्पत्तियाँ मिलती रहती हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें