परोपकरणं येषां जागर्ति हृदये सताम्।
नश्यन्ति विपदस्तेषां सम्पदस्तु पदे पदे।।१७.१५।।
जिन लोगों के हृदय में परोपकार की भावना विद्यमान रहती है उनकी सब विपत्तियाँ दूर हो जाती हैं और पद - पद पर सम्पत्तियाँ मिलती रहती हैं।
नश्यन्ति विपदस्तेषां सम्पदस्तु पदे पदे।।१७.१५।।
जिन लोगों के हृदय में परोपकार की भावना विद्यमान रहती है उनकी सब विपत्तियाँ दूर हो जाती हैं और पद - पद पर सम्पत्तियाँ मिलती रहती हैं।
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