रविवार, 27 मार्च 2016

१६.२० विद्या और धन

पुस्तकेषु च या विद्या परहस्तेषु युद्धनम्।
उत्पन्नेषु च कार्येषु न सा विद्या न तद्धनम्।।२०।।

जो विद्या कण्ठ में न रहकर पुस्तक में लिखी पड़ी है , जो धन अपने हाथ में न रहकर पराये हाथ में पड़ा है , अर्थात् आवश्यकता पड़ने पर जो अपने काम नहीं आ सकता , वह विद्या न विद्या और न वह धन , धन ही है।

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