रविवार, 27 मार्च 2016

१७.८ दुष्ट मनुष्य के सारे शरीर में विष

तक्षकस्य विषं दन्ते मक्षिकायाः विषं मुखे।
वृश्चिकस्य विषं पुच्छे सर्वाङ्गे दुर्जने विषम्।।१७.८।।

साँप के दाँत में विष रहता है , मक्खी के मुख में और बिच्छू के पूँछ में विष रहता है और दुष्ट मनुष्य के सारे शरीर में विष रहता है।

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