रविवार, 27 मार्च 2016

१७.११ बचा हुआ जल

पादशेषं पीतशेषं सन्ध्याशेषं तथैव च।
श्वानमूत्रसमं तोयं पीत्वा चान्द्रायणं चरेत्।।१७.११।।

पैर धोने के बाद बचा हुआ जल , पीने के बाद बचा हुआ जल और सन्ध्या करने के बाद बचा हुआ जल कुत्ते के मूत्र के समान होता है।  भ्रमवश भी वह जल पी लें तो चान्द्रायण व्रत करना चाहिए।

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