रविवार, 27 मार्च 2016

१७.१७ मनुष्य और पशु

आहार -निद्रा - भय  - मैथुनानि समानि चैतानि नृणां पशूनाम्।
ज्ञानं नराणामधिको विशेषो ज्ञानेन हीनाः पशुभिः समानाः।।१७।।

भोजन , शयन , भय और स्त्री - प्रसंग , ये बातें तो मनुष्य और पशु में समान भाव से विद्यमान रहती हैं।  मनुष्यों में केवल ज्ञान की विशेषता रहती है , वह विशेषता भी जिसमें नहीं है , उसे पशु ही समझना चाहिये।

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