रविवार, 27 मार्च 2016

१६.१६ मानभंग

वरं प्राणपरित्यागो मानभङ्गेन जीवनात्।
प्राणत्यागे क्षण दुःखं मानभङ्गे दिने दिने।।१६।।

मानभंग करके जीने की अपेक्षा मर जाना ही अच्छा है। क्योंकि प्राण त्याग का दुःख थोड़ी देर के लिए होता है और मानभंग का क्लेश तो दिनों - दिन होता रहता है।

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