रविवार, 27 मार्च 2016

१७.५ बिना दिये कुछ किसी को मिलता नहीं

पिता रत्नाकरो यस्य लक्ष्मीर्यस्य सहोदरी।
शङ्खो भिक्षाटनं कुर्यान्नादत्तमुपतिष्ठते ।।१७.५।।

जिसका बाप रत्नाकर (रत्नों का खजाना समुद्र ) और लक्ष्मी जिसकी सगी बहन है , वह शंख भी यदि भीख माँगता फिरे तो इसका यही मतलब है कि , बिना दिये कुछ किसी को मिलता नहीं।

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