रविवार, 27 मार्च 2016

१७.६ अशक्त्त , ब्रह्मचारी , रोगी और बूढ़ी स्त्री

अशक्तस्तु भवत्साधुर्ब्रह्मचारी च निर्धनः।
व्याधिष्ठो देवभक्तश्च वृद्धा नारी पतिव्रता।।१७.६।।

अशक्त्त साधु होता है , ब्रह्मचारी निर्धन होता है , रोगी देवता का भक्त्त होता है और बूढ़ी स्त्री पतिव्रता हुआ करती है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें