अशक्तस्तु भवत्साधुर्ब्रह्मचारी च निर्धनः।
व्याधिष्ठो देवभक्तश्च वृद्धा नारी पतिव्रता।।१७.६।।
अशक्त्त साधु होता है , ब्रह्मचारी निर्धन होता है , रोगी देवता का भक्त्त होता है और बूढ़ी स्त्री पतिव्रता हुआ करती है।
व्याधिष्ठो देवभक्तश्च वृद्धा नारी पतिव्रता।।१७.६।।
अशक्त्त साधु होता है , ब्रह्मचारी निर्धन होता है , रोगी देवता का भक्त्त होता है और बूढ़ी स्त्री पतिव्रता हुआ करती है।
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