रविवार, 27 मार्च 2016

१६.९ गुण

विवेकिनमनुप्राप्ता गुणाः यान्ति मनोज्ञताम् ।
सुतरां रत्नमाभाति चामीकरनियोजितम्।।९।।

गुण जब किसी समझदार मनुष्य के पास जाते हैं तभी सुन्दर लगते हैं।  रत्न सोने के अलंकार में जड़ दिया जाता है , तभी जँचता है।

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