संसारकूटवृक्षस्य द्वे फले अमृतोपमे।
सुभाषितं च सुस्वादः संगतिः सज्जने जने।।१८।।
इस संसार रूपी कूटवृक्ष के दो अमृत फल हैं , एक तो अच्छी - अच्छी बातें और दूसरे सज्जनों की संगति।
सुभाषितं च सुस्वादः संगतिः सज्जने जने।।१८।।
इस संसार रूपी कूटवृक्ष के दो अमृत फल हैं , एक तो अच्छी - अच्छी बातें और दूसरे सज्जनों की संगति।
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