रविवार, 27 मार्च 2016

१७.७ अन्न और जल , द्वादशी , गायत्री और माता

नाऽन्नोदकसमं दानं न तिथिर्द्वादशी समा।
न गायत्र्याः परो मन्त्रः न मातुर्दैवतं परम्।।१७.७।।

अन्न और जल के समान कोई दान नहीं होता , द्वादशी की तरह कोई तिथि नहीं होती , गायत्री से बढ़कर कोई मन्त्र नहीं होता और माता से बढ़कर कोई देवता नहीं होता।  

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