रविवार, 27 मार्च 2016

१७.२२ अनर्थ का कारण

यौवनं धनसम्पत्तिः प्रभुत्वमविवेकिता।
एकैकमप्यनर्थाय किमु यत्र चतुष्टयम् ।।१७.२२।।

जवानी , धन की अधिकता , प्रभुता एवं अविवेक।  इनमे से एक भी अनर्थ का कारण होता है।  लेकिन जिनमे ये चारों हो उनका क्या कहना।

1 टिप्पणी: