बुधवार, 16 मार्च 2016

४.१५ विष है

अनभ्यासे विषं शास्त्रमजीर्णे भोजनं विषम्।
दरिद्रस्य विषं गोष्ठी वृद्धस्य तरुणी विषम्।।४.१५।।

अनभ्यस्त शास्त्र विष के समान रहता है। 
अजीर्ण अवस्था में फिर से भोजन करना विष है।
दरिद्र के लिए सभा विष है।  और
बूढ़े पुरुष के लिए युवती स्त्री विष है।

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