बुधवार, 16 मार्च 2016

४.३ सज्जनों की संगती

दर्शनध्यानसंस्पर्शैर्मत्सी कुर्मी च पक्षिणी।
शिशुं पलायते नित्यं तथा सज्जनसङ्गतिः।।४.३।।

जैसे मछली दर्शन से , कछुई ध्यान से  और पक्षिणी स्पर्श से अपने बच्चे का पालन करती है , उसी तरह सज्जनों की संगती मनुष्य का पालन करती है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें