दर्शनध्यानसंस्पर्शैर्मत्सी कुर्मी च पक्षिणी।
शिशुं पलायते नित्यं तथा सज्जनसङ्गतिः।।४.३।।
जैसे मछली दर्शन से , कछुई ध्यान से और पक्षिणी स्पर्श से अपने बच्चे का पालन करती है , उसी तरह सज्जनों की संगती मनुष्य का पालन करती है।
शिशुं पलायते नित्यं तथा सज्जनसङ्गतिः।।४.३।।
जैसे मछली दर्शन से , कछुई ध्यान से और पक्षिणी स्पर्श से अपने बच्चे का पालन करती है , उसी तरह सज्जनों की संगती मनुष्य का पालन करती है।
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