बुधवार, 16 मार्च 2016

४.११ केवल एक ही बार

सकृज्जल्पन्ति राजनः सकृज्जल्पन्ति पण्डिताः।
सकृत्कन्याः प्रदीयन्ते त्रीण्येतानि सकृत्सकृत्।।४.११।।

राजा लोग केवल एक बार कहते हैं , उसी प्रकार पण्डित लोग भी केवल एक ही बार बोलते हैं , (आर्यधर्मावलम्बियों के यहाँ ) केवल एक ही बार कन्या दी जाती है , ये तीन बातें केवल एक ही बार होती हैं।

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