एकाकिना तपो द्वाभ्यां पठनं गायनं त्रिभिः।
चतुर्भिर्गमनं क्षेत्रं पञ्चभिर्बहुभी रणम्।।४.१२।।
अकेले में तपस्या , दो आदमियों से पठन , तीन से गायन , चार आदमियों से रास्ता , पाँच आदमियों के संग से खेती का काम और ज्यादा -से ज्यादा मनुष्यों के समुदाय द्वारा युद्ध सम्पन्न होता है।
चतुर्भिर्गमनं क्षेत्रं पञ्चभिर्बहुभी रणम्।।४.१२।।
अकेले में तपस्या , दो आदमियों से पठन , तीन से गायन , चार आदमियों से रास्ता , पाँच आदमियों के संग से खेती का काम और ज्यादा -से ज्यादा मनुष्यों के समुदाय द्वारा युद्ध सम्पन्न होता है।
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