बुधवार, 16 मार्च 2016

४.१७ बुढापा

अध्वा जरा मनुष्याणां वाजिनां बन्धनं जरा।
अमैथुनं जरा स्त्रीणां वस्त्राणामातपं जरा।।४.१७।।

मनुष्यों के लिए रास्ता चलना बुढ़ापा है।
घोड़े के लिए बन्धन बुढ़ापा है।
स्त्रियों के लिए मैथुन का आभाव बुढ़ापा है।
वस्त्रों के लिए घाम बुढापा है।

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