बुधवार, 16 मार्च 2016

४.७ मूर्ख पुत्र

मूर्खश्चिरायुर्जातोऽपि तस्माज्जातमृतोऽपरः।
मृतः स चाऽल्पदुःखाय यावज्जीवं जडो दहेत्।।४.७।।

मूर्ख पुत्र का चिरंजीवी होकर जीना अच्छा नहीं है।  बल्कि उससे वह पुत्र अच्छा है , जो पैदा होते ही मर जाय।  क्योंकि मरा पुत्र थोड़े दुःख का कारण होता है , पर जीवित मूर्ख पुत्र जन्मभर जलाता ही रहता है।  

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