मूर्खश्चिरायुर्जातोऽपि तस्माज्जातमृतोऽपरः।
मृतः स चाऽल्पदुःखाय यावज्जीवं जडो दहेत्।।४.७।।
मूर्ख पुत्र का चिरंजीवी होकर जीना अच्छा नहीं है। बल्कि उससे वह पुत्र अच्छा है , जो पैदा होते ही मर जाय। क्योंकि मरा पुत्र थोड़े दुःख का कारण होता है , पर जीवित मूर्ख पुत्र जन्मभर जलाता ही रहता है।
मृतः स चाऽल्पदुःखाय यावज्जीवं जडो दहेत्।।४.७।।
मूर्ख पुत्र का चिरंजीवी होकर जीना अच्छा नहीं है। बल्कि उससे वह पुत्र अच्छा है , जो पैदा होते ही मर जाय। क्योंकि मरा पुत्र थोड़े दुःख का कारण होता है , पर जीवित मूर्ख पुत्र जन्मभर जलाता ही रहता है।
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