बुधवार, 16 मार्च 2016

४.१० विश्राम स्थल

संसार तापदाग्धानां त्रयो विश्रान्तिहेतवः।
अपत्यं च कलत्रं च सतां सङ्गतिरेव च।।४.१०।।

सांसारिक ताप से जलते हुए लोगों के तीन ही विश्राम स्थल हैं।
पुत्र , स्त्री और सज्जनों का संग।

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